रविवार, 10 सितंबर 2023

कविता :"हिंदी दिवस "

"हिंदी दिवस "
 ये शाम है बहुत सुहानी | 
जहां पर हो रही है कविताएं की बारिश 
नन्हे -मुन्हे की अपनी कहानी | 
बड़ों ने इस पर है जान डाली 
हिंदी के अछर है याद दिलाता | 
इसकी महत्व की गीत  सुनाते 
इस महफ़िल में सब गुन गुनाते | 
हिंदी की मिलकर मान बढ़ाते 
ये शाम है बहुत सुहानी | 
जहाँ पर हो रही है कविताओ की बारिश 
कवि :कुल्दीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

रविवार, 3 सितंबर 2023

कविता:"समय "

"समय "
 समय के साथ सब बदल रहा है | 
पहले हर वक्त शोर मचाते थे 
अब शांत रहने में मज़ा आ  रहा है | 
समय के साथ सब बदल रहा है 
पहले  सब के साथ मिल कर रहते थे  | 
अब अकेले रहने में मज़ा आ रहा है  
समय के साथ सब बदल रहा है | 
 जो बातें सब के साथ शेयर किया करते थे 
अब वह बातें छिपाने में मज़ा आ रहा है |  
समय के साथ सब बदल रहा है 
कवि :कामता कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

बुधवार, 16 अगस्त 2023

कविता : " खुद की दुनियाँ "

 "  खुद की दुनियाँ "
काश खुद का एक दुनिया होता |  
दिन रात सपनों में होता 
टिमटिमाते हुए तारों  देखता | 
गोल से  चाँद को ताकत 
अपनी भी एक दुनिया होता | 
उसमे मैं राजा होता 
काश खुद का एक दुनियाँ होता | 
परिंदों की तरह भटकता ना फिरता 
 अपनी जिंदगी मजे से जीता | 
काश खुद का  दुनिया होता 
कवि :अजय कुमार ,कक्षा:9th
 अपना घर  

सोमवार, 14 अगस्त 2023

कविता :"छवि "

"छवि "
 अपनी छवि को देख देख | 
सही गलत समझ नहीं पा रहा हूँ 
अब छोटी छोटी बातों में भी | 
उदास रहने लगा हूँ 
कभी कभी सोचता हूँ | 
कि अपने भूत भूल जाऊँ 
पर जितना भूलना चाहता हूँ |
 उतना ही याद करने लगा हूँ 
भविष्य में क्या करना है | 
ये भी नहीं सोच  रहा हूँ 
जब भी उनकी तस्वीर देखता हूँ | 
तब तब रोने लगा हूँ 
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

रविवार, 13 अगस्त 2023

कविता :"आज़ादी "

"आज़ादी "
 आज़ादी की राह थी मुश्किल | 
लोग भूल गए जान गई थी जिनकी 
सब अपना -अपना  काम बनाते | 
स्वतंत्र दिवस पर इनके नाम गाते 
कितने भोले है यह इंसान | 
कुछ खो बैठे है अपना ही इमान 
कितना संघर्ष था उनके जीवन में | 
 फिर भी जान दे दी आज़ादी लेने में 
अब लोगो को फर्क नहीं पड़ता इसपर | 
आपस में ही लड़ रहे है दिन भर 
आज़ादी की राह थी मुश्किल | 
लोग भूल गए जान गई थी जिनकी 
कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

कविता "हौसला है बुलंद "

"हौसला है बुलंद "
जिंदगी अब वीरान सी  गई है 
हर वक्त बस  समय मार हो गई 
जो सपने देखे खुद के अपने 
वो अब बे जान सी हो  गई है 
दिन अब रात भी लगने लगे है 
इस वक्त की मार से आँखों से उड़ने लगे है
हौसला अभी भी बुलंद है उस सपने को लेकर 
बस मुझे पल और समय का इंतजार है 
ये जिंदगी अब वीरान सी हो गई है 
कवि: पंकज कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

 

रविवार, 6 अगस्त 2023

कविता : " रिम - झीम -रिम झीम बारिश आई "

" रिम -  झीम -रिम झीम  बारिश आई "


  रिम -  झीम -रिम झीम  बारिश आई | 

यँहा -वँहा काले -काले बादल आए | 

खूब गरज कर शोर मचाए | 

बारिश होने को बतलाए | 

रिम -झिम रिम -झिम बारिश आई | 

गर्मी से ,अब राहत आई | 

यँहा -वँहा बादल छाए | 

बच्चे बारिश में अब खूब नहाए | 

रिम -झिम रिम -झिम बारिश आई | 

यँहा -वँहा बादल छाए |  

                                                                                                            कवि :सनी कुमार  ,कक्षा :12 

                                                                                                                                  अपना घर  

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

कविता : " सफर"

 " सफर"

 कहाँ से कहाँ आ गया 

और भी किधर है जाना 

अंजान हूँ हर एक अगले कदम का 

मैं तो सिर्फ चलता जा रहा हूँ 

न होश है न खबर 

मैं और मेरा सफर 

डरा हूँ सोंच उस बारे में 

जो आने वाला कल भर में है 

टूट बिखर या चलता ही बनूँगा 

इस अपनी एक सफर में थककर हारूंगा या बुझ कर 

फिर चमक खिलूँगा 

मैं बेघर इस ख़ामोशी सफर का 

बस है इंतजार  उस किनारे तक का 

मैं और मेरा सफर 

कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :8 

अपना घर

  

कविता : "वह गाँव की यादें को बिखरना "

"वह गाँव की यादें को बिखरना "

वह गाँव की यादें को बिखरना 
अच्छा होता गाँव  में ही  रहना 
बस कुछ सालों की ही तो बात है 
ये सब जो पुरानी याद है 
यादों का बिखरना 
अच्छा होता गाँव  में ही रहना 
यादों  का याद करके 
सोचता हूँ मस्त मगन हो के 
इस याद को कभी नहीं है भूलना 
जिस में गुजरा है मेरा बचपना 
वह गाँव की यादों को बिखरना 
अच्छा होता गाँव में रहना 
                                                                                                          कवि :पंकज कुमार ,कक्षा :8 
                                                                                 अपना घर 

गुरुवार, 3 अगस्त 2023

कविता : " जिंदगी एक लड़ाई है "

" जिंदगी एक लड़ाई है "

जिंदगी एक लड़ाई है 

जितना लड़ सको उतना ही भलाई है 

मेहनत का काम ही है 

आगे का रास्ता दिखाना 

लड़ाई का काम ही  है 

तुम्हारी साहस दिखाना 

चाहे तुम जितना  अच्छा खाना 

खा लो 

पर तुम हो जाओगे मोटे 

कुछ बदलाव नहीं आएगा  

और हो  जाओगे छोटे 

तुमने पढ़ाई नहीं की थी 

तुमने लड़ाई नहीं की थी 

इसी  लिए सब से कहते है 

जिंदगी एक लड़ाई है 

जितना लड़ सको उतना ही भलाई है 

                                                                                                                                                                                                                                                                                                      कवि :गोविन्दा कुमार 

                                                                                                                                 कक्षा :7 

                                                                                                                                अपना   घर 

शनिवार, 29 जुलाई 2023

कविता :"बारिश "

"बारिश "
 रिमझिम -रिमझिम बारिश आई | 
गर्मी से अब रहत पाई 
यंहा -वंहा हरियाली आई | 
पेड़ -पौधों में खुशियाली आई 
हम भाइओ की मस्ती छाई |  
सावन की महीना आई 
भाइओ ने प्रेम जगाया | 
सावन का महीना आया 
कवि :गोपाल  कुमार ,कक्षा :6th 
अपना घर